आज हम बात करेंगे भारतीय राजनीती में इस्तेमाल किये गये उन नारों की जिन्होंने न सिर्फ राजनीती को हिला के रख दिया था बल्कि विरोधी पार्टियों को सुफडा ही साफ कर दिया था .और नेताओं ने भी उन नारों को खूब भुनाया .
बात करते हैं 1967 से जब उस टाइम नारे इस्तेमाल किये गये थे .
जहाँ एक पार्टी का नारा था
“भूल ना जाना भारत वालो किसी की होड़ा होड़ी में
देखभाल कर मोहर लगाना दो बैलों की जोड़ी पै”
तो वही दूसरी पार्टी का नारा था
“हर हाथ को काम, हर खेत को पानी,
हर घर में दीपक, जनसंघ की निशानी”
एक तरफ “इस दीपक में तेल नहीं, सरकार बनाना खेल नहीं”
दूसरी तरफ “जली झोंपडी़ भागे बैल,यह देखो दीपक का खेल”
1971 में इंदिरा गाँधी जी ने नारा दिया "गरीबी हटाओ" और तमाम काम करने के बाबजूद इंदिरा जी की विरोधी पार्टियों ने नारे दिए .
“खा गयी राशन पी गयी तेल , ये देखो इंदिरा का खेल”
“स्वर्ग से नेहरू रहे पुकार, अबकी बिटिया जइयो हार”
1974 में जब यूपी में चुनाव हुए तब इन नारों ने खूब धूम मचाई थी .
“झूठ बोले हलधर वाला गईया बछड़ा से डरियो
दीपक पै मोहर लगाऊँगी तुम देखते रहियो”
अटल जी कि प्रचारक टोली नारे लगाती फिरती है
“दीपक बुझ गयो वा भाई वा , हल टूट गयौ वा भाई वा,
गाय बिछड़ गयी वा भाई वा , बछड़ा खुल गयौ वा भाई वा
अरे बरगद टूटी वा भाई वा वो हाथी भागौ वा भाई वा…..
“अटल बिहारी बोल गया इंदिरा शासन डोल गया”
1977 में जब इमरजेंसी हटी तो इन नारों ने धूम मचाई
“सम्पूर्ण क्रांति अब नारा है, भावी इतिहास तुम्हारा है”
और “इंदिरा भारत हैं और भारत इंदिरा गांधी है.” ….. “इमरजेंसी अनुशासन पर्व” के नारों के बीच देश पुकार उठा
“इमरजेंसी के तीन दलाल, विद्या संजय बंसीलाल”
“संजय की मम्मी बड़ी निकम्मी”
“बेटा कार बनाता है, मां बेकार बनाती है”
”जमीन गई चकबंदी में, मकान गयौ हदबंदी में,
द्वार खड़ी बइयर चिल्लाए, मेरौ मर्द गयौ नसबंदी में”
इंदिरा गाँधी की वापसी होती है चिकमंगलूर उपचुनाव में इन नारों के बीच
“एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंगलूर, चिकमंगलूर”
1980 में संघ वाले
“अपना हक लेके रहेंगे ….” वाले नारे की तीव्र प्रतिक्रिया के साथ नारे उठे
“इंदिरा लाओ देश बचाओ”
“इंदिरा जी की बात पै मुहर लगेगी हाथ पर”
“जात पै ना पांत पै मौहर लगैगी हाथ पै”
“आधी रोटी खाएँगे इंदिरा को वापस लाएंगे”
इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद 1984 में
“जब तक सूरज चाँद रहेगा इंदिरा तेरा नाम रहेगा”
“इंदिरा तेरा ये बलिदान नहीं भूलेगा हिन्दुस्तान”
और “‘उठे करोड़ों हाथ हैं राजीव जी के साथ हैं”
रामजन्म भूमि आंदोलन और1989 में बोफार्स दलाली के बीच
“राजा नहीं फकीर है भारत की तकदीर है”
“सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं वनाएंगे”
1991 में जब श्री राम लहर चली तो पूरी फिजाँ मैं “जय श्री राम” का नारा एक मंत्र बन कर छा चुका था,अयोध्या आंदोलन के नारे भाजपा के लिए प्रयुक्त होने लगे
“बच्चा बच्चा राम का बीजेपी के काम का”
“बीजेपी के काम ना आए वो बेकार जवानी है”
लेकिन इसी बीच राजीव गाँधी हत्या के बाद इंदिरा के नारे राजीव के लिए प्रयोग होने लगे
“जब तक सूरज चाँद रहेगा राजीव तेरा नाम रहेगा”
“राजीव तेरा यह बलिदान याद करेगा हिंदुस्तान”
इसी चुनाव मैं यूपी का एक नारा था
“जिसने कभी न झुकना सीखा, उसका नाम मुलायम है”
बाबरी ध्वंस के पश्चात 1993 में भाजपा इस नारे के साथ बड़ी उम्मीद से उतरी
“ये तो पहली झांकी है मथुरा काशी बाकी है”
1996 में जब लोकसभा चुनाव हुए तब बीजेपी की हवा चल रही थी
“सबको देखा बारी-बारी, अबकी बारी अटल बिहारी.”
“लाल किले से उठी चिंगारी अबके देखो अटल बिहारी”
और इन नारों अटल जी को प्रधानमन्त्री बना ही दिया
1997 विधान सभा में BSP का नारा था
बाबा साहब का मिशन अधूरा माया बहन करेंगी पूरा
1998 में भाजपाइयों में जोश भरा
“अटल आडवाणी कमल निशान, मांग रहा है हिंदुस्तान” नारे ने
और इसी चुनाव का ये नारा याद आता है तो आज भी भाजपाइयों के रोमांच से रोंगटे खड़ा कर देता है
“राजतिलक की करो तैयारी, आ रहे हैं अटल बिहारी”
1999 लोकसभा चुनाव एक वोट की हार और कारगिल उपलब्धि के साथ नारा हावी रहा
‘कहो दिल से, अटल फिर से”
2002 में यूपी मैं बीएसपी पूरी तैयारी से उतरी और कहा
“बनिया हाफ ठाकुर साफ ब्राह्मण माफ” और ब्राह्मणों ने भी कह दिया
“पत्थर रख लो छाती पर, बटन दबाओ हाथी पर”
2004 का चुनाव नारों की दृष्टि से नीरस रहा , भाजपा ने बेतुका नारा लगाया “शाइनिंग इंडिया” ‘फील गुड’ तो कॉंग्रेस केवल “आम आदमी को क्या मिला” कह कर सत्ता पा गयी
2007 में मुलायम राज की अराजकता के मध्य हुये चुनाव में नारे उठे
“चढ़ गुंडन की छाती पै मुहर लगेगी हाथी पै”
“ब्राह्मण शंख बजाएगा हाथी चलता जाएगा” और बहनजी की पूर्ण बहुमत की सरकार बन गयी
और 2009 में कॉंग्रेस और भाजपा मैं “जय हो …..” “भय हो.……” का युद्ध चला, वहीं बीएसपी ने कहा
“यूपी हुई हमारी है, अब दिल्ली की बारी है’’
और 2014 में कॉंग्रेस
”हर हाथ शक्ति हर हाथ तरक्की”
”जनता कहेगी दिल से, कांग्रेस फिर से” इस नारे के साथ उतरी
तो वहीं भाजपा के “ट्विंटल-ट्विंकल लिटिल स्टार, अबकी बार मोदी सरकार.” नारों के जरिए ना जाने कितनी चीजों के साथ
“अबकी बार मोदी सरकार” जोड़ दिया। इसी चुनाव में भाजपा की सामूहिक भावना और परिवारमय वातावरण वाली राजनीति को
“हर हर मोदी घर घर मोदी” नारे ने व्यक्तिवादी राजनीति में बदल दिया
और नारों की परंपरा के लिए जाने जानी वाली भाजपा पर बस एक नारा रह गया
मोदी मोदी मोदी मोदी मोदी ………..
2015 बिहार चुनाव
बिहार में बहार है ,नितीशे कुमार है .
बिहार में बहार है ,नितीशे कुमार है .
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