कल 9 मार्च को काफी टीवी न्यूज़ चैनेल्स ने अपने एग्जिट पोल दे दिए जिनमे ज्यादातर एग्जिट पोल एजेंसियों ने यूपी में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं दिया है. हालाँकि सभी एग्जिट पोल में यूपी में भाजपा को भारी बढ़त के साथ नंबर वन पार्टी दिखाया गया है लेकिन पूर्ण बहुमत भाजपा को भी नहीं दिखाया है. यूपी में सपा को दूसरे नंबर की पार्टी और बसपा की हालत बहुत ही खराब दिखाते हुए उसे तीसरे नम्बर की पार्टी दिखाया गया है।
ऐसे में यूपी में भाजपा को मिली बढ़त से अखिलेश यादव और मायावती के तेवर बदल चुके हैं ,जहाँ एक ओर टीवी चैनल बीबीसी को दिए इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने कल मायावती की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए कहा था कि "गठबंधन के लिए मैं अभी इसलिए नहीं कह सकता हूं कि हम खुद सरकार बनाने जा रहे हैं. मैंने हमेशा बुआ मायावती को एक रिश्ते के तौर पर संबोधित किया है तो ऐसे में लोगों को लग सकता है कि कहीं हम बीएसपी के साथ गठबंधन न कर लें. ये बात कहना अभी मुश्किल है ,लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि हमारे गठबंधन का बहुमत आने वाला है और हम यूपी में दुबारा सरकार बनाने वाले हैं. हां, अगर सरकार बनाने के लिए ज़रूरत पड़ेगी तो देखिए, कोई नहीं चाहेगा कि राष्ट्रपति शासन हो बीजेपी रिमोट कंट्रोल से उत्तर प्रदेश को चलाएं. इससे अच्छा तो यही रहेगा कि एसपी और बीएसपी एक साथ मिलकर सरकार बनाएं।"
उधर दूसरी तरफ टीवी चैनल टाइम्स नाव से बातचीत करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि "भाजपा को सत्ता से दूर रखने के मुद्दे पर वो 11 तारीख को चुनाव परिणाम आने के बाद ही अखिलेश यादव द्वारा दिए गये प्रस्ताव पर गौर करेंगीं।"
उधर दूसरी तरफ टीवी चैनल टाइम्स नाव से बातचीत करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि "भाजपा को सत्ता से दूर रखने के मुद्दे पर वो 11 तारीख को चुनाव परिणाम आने के बाद ही अखिलेश यादव द्वारा दिए गये प्रस्ताव पर गौर करेंगीं।"
अब सवाल उठता है कि क्या सिर्फ सत्ता पाने के लालच में मायावती अपने आत्मसम्मान की आहुति देकर और गेस्ट हाउस कांड भुलाकर सपा से भी हाथ मिला सकती हैं?
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