गाज़ियाबाद : मुस्लिम समाज में औरतों की जिन्दगी बद से बत्तर हो गयी है और इसका सबसे बड़ा कारण तीन तलाक की कुप्रथा है , मुस्लिम औरत शादी के बाद पूरी तरह से डरकर जिन्दगी गुजारती है क्योंकि हर दम यही डर सताता रहता है कि पता नहीं किस समय और किस बात पर उसका शौहर उसे तलाक बोल दे ,फिर भी वो तीन तलाक श्राप से बच नहीं पाती है ,तीन तलाक के दर्द के बाद उसे मौलानाओं द्वारा "हलाला" का दर्द दिया जाता है, जिसमें मुस्लिम धर्म गुरु तलाकशुदा औरत का हलाला के नाम पर रेप करते हैं और उसे ब्लैकमेल भी करते हैं।
तीन तलाक के बाद हलाला का दंश झेल चुकी एक मुस्लिम महिला ने हमारे साथ अपना दर्द शेयर किया और मुस्लिम धर्म गुरुओं की काली सच्चाई का पर्दाफाश किया,उसने बताया कि कैसे मुस्लिम धर्म गुरु एक तलाकशुदा औरत को ब्लैकमेल करके हलाला के नाम पर उसका यौन शोषण करते हैं।
यूपी के गाज़ियाबाद जिले की रुखसार बी. ने रोते हुए हमें बताया कि "जब किसी औरत को उसके पति द्वारा तीन तलाक दे दिया जाता है तो मौलाना उस तलाकशुदा औरत से कहते हैं कि तुम्हें कोई और मर्द तो मिलेगा नहीं इसलिए मैं ही तुमसे एक रात के लिए शादी कर लेता हूँ और तुम्हारा हलाला कर देता हूँ, इस तरह से मौलाना मासूम मुस्लिम औरतों की मजबूरी का नाजायज फायदा उठाते हैं।"
रुखसार बी. ने रोते हुए आगे कहा "हमारी जिन्दगी तो इस तीन तलाक ने बर्बाद कर ही दी मगर हम चाहते हैं कि हमारी और मुस्लिम बहनों की जिन्दगी बर्बाद न हो इसलिए मोदी जी से मांग करते हैं कि इस तीन तलाक के ड्रामे को जल्द से जल्द बंद किया जाये,ताकि मौलानाओं द्वारा मुस्लिम औरतों का शोषण बंद हो सके।"
आपको बता दें कि कल रविवार को लखनऊ में ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के बाद बोर्ड के मौलानाओं ने कहा था कि हम शरई कानून में किसी भी तरह की दखलंदाजी बर्दास्त नहीं करेंगे , शरई कानून के मुताबिक तीन तलाक एकदम सही है और इसे कभी भी खत्म नहीं किया जायेगा , इस बोर्ड के मुल्लों ने दलील दी की हिन्दुस्तान के ज्यादातर मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ में किसी भी तरह का बदलाव नहीं चाहते. मुल्लों ने आगे कहा कि मुस्लिम लोग लड़की की शादी में दहेज देने के बजाय अपनी संपत्ति का हिस्सेदार बनाएँ, जो महिला तीन तलाक से पीड़ित है उसकी मदद की जाय. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तीन तलाक को खत्म करने के शख्त खिलाफ है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुल्लों ने हम तीन तलाक में सुप्रीमकोर्ट की दखलंदाजी बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेंगे मगर बाबरी मस्जिद मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट का ही फैसले मानेंगे।
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